Ayodhya Ram Mandir 2024: श्री राम लला की प्रतिमा, जाने मूर्ति के प्रतिको में छुपी कुछ खास बातें।
भगवान श्री राम के विग्रह में अनेक विशिष्टाएं हैं, जिनकी मध्यम से मूर्ति एक अलग ऊर्जा का आभास कराती है। प्रतीकों में छुपी खास ऊर्जावान शक्तियों के साथ, भगवान राम के विग्रह की अद्भुतता और पवित्रता हमारे दिल को स्पर्श करती है। ये मूर्ति एक आध्यात्मिक अनुभव का प्रतीक है और उनके भक्तों में अदभुत भक्ति और श्रद्धा का उत्तराधिकार भरा है। इस प्रकार, भगवान श्री राम के विग्रह की विशिष्टताओं में छुपी ध्यानवर्धक शक्तियां हमारे जीवन में शांति और परमानंद का अनुभव करने में मदद करती हैं।
गर्भगृह में स्थित रामलला के विग्रह की पहली तस्वीर ने हर दर्शक के दिल को छू लिया है। इस अत्यंत सुंदर विग्रह की चेहरे पर चमक और शांति की अनूठी भावना है, जो देखने वाले को भावुक कर देती है। विग्रह, काले पत्थर से बना है, जिससे उसमें विशेष ऊर्जा और स्थैर्य है। रामलला की पांच वर्ष की आयु को दर्शाते हुए, इस विग्रह के सारे प्रतीक उनके आस-पास की ऊर्जा को नमीन्द्रित करते हैं और दर्शकों को उनके साथ एक सात्विक यात्रा में ले जाते हैं। आज के लेख में, हम इस अद्वितीय विग्रह की सौंदर्य शास्त्रीय व्याख्या करेंगे, जो न केवल राम लला के पूजनीय रूप को प्रकट करती है, बल्कि उसके पास मौद्रिक भाषा से भी बोलती है।
श्री राम लला विराजमान की मूर्ति में देखे गए सर्वभौम प्रतीक, व्यक्ति को एक आध्यात्मिक सफर पर भेजते हैं, अपनी आत्मा से जोड़ते हैं और दिव्यता की अद्भुत अनुभूति में ले जाते हैं। हर चिन्ह, हर रेखा, और हर बिंदु की एक अपनी कहानी है, जो इस मूर्ति के माध्यम से भक्त को व्यक्ति की अंतरात्मा से जुड़ा हुआ महासागर में ले जाता है।
विग्रह की दाहिने ओर मुख्यत: Right Side
मूर्तिकार ने शिवपुराण विद्येश्वर संहिता के अनुसार शिव की मूर्ति में एक विशेष चिह्न जोड़ा है, जिसमें उनके दाएं ओर ॐ और स्वस्तिक का प्रतीक स्थान पाता है। यहां यह बताया जाता है कि शिव की मूर्ति में पांच मुख हैं और ॐ उनके मुख से निकली पहली ध्वनि है, जो शिवपुराण में विशेष महत्त्वपूर्ण बताई गई है। शिवपुराण विद्येश्वर संहिता के अनुसार, शब्द सिद्धि के लिए ॐ का महत्त्व अत्यधिक है, और इसलिए मूर्तिकार ने शिव की मूर्ति में ॐ को प्रतीक के रूप में शामिल किया है। इसके बाद, स्वस्तिक को भी जगह मिली है, जिसे हिन्दू धर्म में गणेश जी का प्रतीक माना जाता है। इससे स्पष्ट होता है कि विघ्नहर्ता के रूप में स्वास्तिक भी मूर्तिकार द्वारा महत्वपूर्ण रूप से स्थान दिया गया है।
विग्रह की बायीं ओर मुख्यत: Left Side
देखा जा सकता है कि यहां एक चक्र और एक गदा स्थित हैं, जिनका सीधा संबंध विष्णु देवता से है। विष्णु को हिन्दू धर्म में देवताओं का मुख्य नायक माना जाता है, और उन्हें देवताओं और आसुरों के बीच लड़ाई में सहायक के रूप में देखा जाता है। श्रीराम, जो भगवान विष्णु के एक अवतार हैं, वह इस विग्रह के माध्यम से चक्र और गदा को धारण करते हैं। इसलिए, इस मूर्ति को आसुरी शक्तियों के नाश के लिए चक्र और गदा से संबंधित किया गया है। यह एक पौराणिक कथा के रूप में हिंदू साहित्य में स्थापित है, जो धार्मिक आदान-प्रदान के साथ साथ कल्चरल और आस्थाएं दर्शाता है।
यदि हम और ध्यान से देखेंगे तो, दोनों ओर से श्री विष्णु के 10 अवतारों के प्रतीकों को उकेरा गया है। मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिम्हा, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि अवतार को दोनो ओर से जगा दिया गया है है। ये प्रतीक दर्शन हैं कि सनातन धर्म में ऊँच-नीच और संवेदनाशील भावनाओं के साथ, भगवान विष्णु ने अवतार लेकर संसार को सुरक्षित करने का संकल्प लिया है, और इस उपकार में उनका अदभुत योगदान है।
दायीं ओर, वामन अवतार के नीचे हनुमान जी विराजमान हैं, जो शिव के रूद्र रूप में प्रतिष्ठित हैं और त्रेता में उन्होंने अपनी भक्ति और सेवा के लिए श्री राम के साथ जुड़ने के लिए रुद्रावतार धारण किया था। इस कारण, मूर्तिकार ने हनुमान जी को श्री राम के चरणों के समीप बिठाया है। श्री राम के चरणों के पास एक कमल है, जो श्री यानी लक्ष्मी का प्रतीक है, और इस रूप में विराजित किया गया है, क्योंकि श्री विष्णु कभी भी अपनी शक्ति के बिना किसी भी कार्य को पूरा नहीं करते। इससे यह सिद्ध होता है कि मूर्तिकार ने यह सुनिश्चित किया है कि हनुमान जी, जो श्री राम के अद्वितीय भक्त हैं, उनकी चरण भक्ति में समर्थन और शक्ति के स्वरूप में स्थान पाएं।
कल्कि अवतार के प्रतीक के नीचे, मूर्तिकार ने गरुड़ को स्थापित किया है, जो महाभारत के अनुसार ऋषि कश्यप और विनता के पुत्र थे। भगवान विष्णु ने गरुड़ को अपना वाहन बनाया था, और इस प्रकार, गरुड़ महान देवता बन गए। मूर्तिकार ने इस महान प्रतीक में गरुड़ को बड़ी साधुता के साथ स्थापित किया गया है, जिसे ये दर्शाता है कि अनहोन न केवल कलात्मक सौंदर्य को ध्यान में रखता है, बल्कि उनका ध्यान भक्ति और धार्मिक तत्वों की महत्तवपूर्ण समझ में भी है। क्या मूर्ति में गरुड़ को रखा गया है श्री राम के चरणों के पास स्थापित किया गया है, जैसे ये प्रतीक श्री विष्णु की अदभुत शक्तियों को और भी प्रबल बना देता है, और भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव में लीन कर देता है।’